जहिना छठि पाबैनमे डाली सरोवर, झील, सरिता-समुद्रक घाटपर चौमुखी-पँचमुखी दियारीक प्रकाशमे पसरल रहैए आ हाथ उठौनिहारि एका-एकी डाली उठा-उठा सुर्जक अर्घ दइ छैथ, तहिना ने नीक-अधला दुनियाँक घाटपर परसल जिनगियो अछि। जेकरा जइ रूपमे जे जेहेन अर्घ दान करैए ओ ओहेन फलो पबैए। दुनियाँ तँ दुनियाँ छी, जहिना सभ किछु नीके छै तहिना सभ किछु अधलो तँ छइहे। जँ से नै छै तँ केकरो नीक केकरो अधला किए लगै छइ। तेतबे किए, एके वस्तु एककेँ नीक दोसरकेँ अधलो तँ लैगते अछि।
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